मल्टीपल स्क्लेरोसिस के बारे में बढ़ाएं अपनी जानकारी
सेहतराग टीम
यूं तो ये एक दुर्लभ बीमारी की श्रेणी में आता है और भारत की सवा अरब से अधिक की में मुश्किल से 2 लाख लोग ही मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) से ग्रस्त बताए जाते हैं मगर हालिया अध्ययन बताते हैं कि पेंट, वार्निश या ऐसे और सॉल्वेंट के लगातार संपर्क में रहने से व्यक्ति के इस बीमारी की चपेट में आने का खतरा 50 फीसदी तक बढ़ जाता है। ऐेसे लोग जिनके शरीर में इस बीमारी के जीन होते हैं यानी जिनके परिवार में कभी किसी को ये बीमारी रही हो और जो धूम्रपान भी करते हैं और साथ ही साथ जो पेंट, वार्निश आदि के संपर्क में भी रहते हैं तो उनमें ये बीमारी होने का जोखिम एक आम आदमी, जिनमें न तो इस बीमारी का जीन हो, जो न धूम्रपान करता हो और न ही जो पेंट, वार्निश के संपर्क में आता हो, के मुकाबले 30 गुना तक अधिक हो जाता है।
फैलाव
हाल के वर्षों में एमएस का फैलाव पूरी दुनिया में बढ़ा है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। पहले ऐसा माना जाता था कि ये मुख्यत: अमेरिका और उत्तरी यूरोप के कॉकेशियन देशों की बीमारी है मगर अब भारत में भी इसके मरीज दिखने लगे हैं। पूरी दुनिया में इस बीमारी के करीब 23 लाख मरीज हैं और इसमें से 2 लाख के करीब भारत में हैं।
क्या है ये एमएस
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि एमएस दिमाग और स्पाइनल कॉड को बेकार करने में सक्षम बीमारी है। इस बीमारी में ब्रेन और स्पाइनल कॉड की नर्व कोशिकाओं के ऊपर चढ़ा बचाव कवच (इंसुलेटिंग कवर्स) क्षतिग्रस्त हो जाता है। ये क्षतिग्रस्तता शरीर के नर्वस सिस्टम की क्षमता को प्रभावित करती है जिसके कारण कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं।
लक्षण
ये समस्याएं शारीरिक, मानसिक और मनोविकार संबंधी हो सकती है। इसके कुछ लक्षणों में, एक आंख में नेत्रहीनता, मांसपेशियों में कमजोरी, महसूस करने में कमी, संतुलन बनाने में परेशानी आदि शामिल है। वैसे इसके लक्षण मरीजों के हिसाब से बदलते रहते हैं और शरीर का कौन सा नर्व इस बीमारी से प्रभावित हुआ है उसपर भी बहुत कुछ निर्भर करता है।
इलाज
डॉक्टर अग्रवाल कहते हैं कि सामान्य तौर पर एमएस के शिकार वयस्क लोग ही बनते हैं मगर कुछ मामलों में बच्चों में भी यह बीमारी देखी गई है। हालत को और बिगाड़ने में इस बीमारी की महंगी दवाओं का भी योगदान है क्योंकि इस बीमारी की खाने वाली दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। इंजेक्शन के जरिये दी जाने वाली दवाओं की कीमत 50 हजार रुपये तक है। इस बीमारी की चपेट में आने वाले अधिकांश लोग तो सिर्फ इस वजह से ही अवसाद में चले जाते हैं।
कुछ सुझाव
खाने में प्रोटीन, ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त फल और सब्जियों का इस्तेमााल बढ़ा दें।
एमएस के हर चरण में शरीर का मूवमेंट बेहद जरूरी होता है। नियमित व्यायाम शरीर के लचीलेपन को बनाए रखता है, संतुलन बढ़ाता है और एमएस के अन्य जटिलताओं में भी आराम पहुंचाता है।
इस बीमारी में नींद की अहम भूमिका है। कोशिश करें कि रोजाना एक तयशुदा समय पर पर्याप्त नींद लें, कमरे को अंधेरा और ठंडा रखें और सोने से पहले ज्यादा तरल पदार्थ न लें। नींद के समय रिलैक्स होना जरूरी है।
विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में लें। हालिया अध्ययन बताते हैं कि जो लोग एमएस से पीड़ित हैं और साथ ही उनमें विटामिन डी की भी कमी है तो उनमें ये बीमारी ज्यादा तेजी से बढ़ती है।
Comments (0)
Facebook Comments (0)